सचिव/प्रबंधक का संदेश
महानता तपोनिष्ठ, आदर्श चरित्र नायक, ऐतिहासिक एवं पौराणिक पात्र ‘धनुर्धर वीर एकलव्य के नाम पर महाविद्यालय’ की स्थापना गुरुकुल की भांति नगर के कोलाहल से दूर एकांत-शांत प्राकृतिक सुरम्य वातावरण में की गई, इसका सर्वत्र स्वागत हुआ हैl
महाविद्यालय अपने सरसों के प्रथम सत्र में ही विशाल निर्माण, कला संकाय की मान्यता, परीक्षा केंद्र एवं समाज तथा राजनेता, छात्र-छात्राओं एवं शिक्षक शिक्षिकाओं का सहयोग पाकर अपने को गौरवशाली मानता हैl
कला संकाय के अतिरिक्त स्नातक विज्ञान संकाय व परास्नातक संकाय के साथ-साथ बी.एल.एड.(बीटीसी), बी.एड. और बी.पी.एड.जैसे रोजगार परक पाठ्यक्रम भी चल रहे हैं। इस प्रकार जैसे यह महाविद्यालय विद्या अर्जन का केंद्र बनेगा, वहीं व्यवसायिक शिक्षा, जिसका जीवन में व्यवहारिक महत्व होगा, जैसे पाठ्यक्रमों से समाज की जरूरतों को पूरा कर सकेगा।
इस महाविद्यालय का मौलिक कार्य है, एक ऐसा ढांचा तैयार करना जिसके अंदर छात्र-छात्राएं अपनी बुद्धि का विकास कर सकें, नई-नई ज्ञान-विज्ञान की जानकारियां प्राप्त कर सकें साथ ही सेवा विनम्रता और सदाचार को जीवन में उतार सकेंl
मुझे पूरा विश्वास है कि छात्र-छात्राएं अभिभावकगण शिक्षक-शिक्षिकाएं प्रबंधतंत्र सभी मिलजुल कर एक ऐसी मिसाल कायम करेंगे, जिससे महाविद्यालय के समक्ष ”महान वीर धनुर्धर एकलव्य” का आदर्श क्रियान्वित हो सकेl
हमारे नए सत्र के शुभारंभ पर मैं महाविद्यालय की सचिव होने के नाते आप सबका स्वागत करती हूँ साथ ही महाविद्यालय परिवार के समस्त सम्मानित सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं अर्पित करती हूंँ l
आओ हम सब नए सत्र में परस्पर सहयोग से सृजनात्मक और रचनात्मक कार्यों की ओर अग्रसर होंl